खून चूसने वाले आ गए पुलिस रडार पर

- सूदखोरों के खिलाफ पुलिस का आपरेशन मुक्ति, अब तक दो दर्जन चिह्नित
- शहर की हर कमजोर वर्ग की बस्ती में फैला रखा है इन्होंने अपना जाल
‘नये समीकरण’ द्वारा सूदखोरों के खिलाफ चलाए गए अभियान का असर सामने आ रहा है। सूदखोरी के मकड़जाल में फंसे लोगों को आपरेशन मुक्ति से राहत मिलने की आशा जगी है। एसएसपी के निर्देश पर सूदखोरों को चिह्नित कर उनकी एलआईयू सो जांच करायी जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने पर उनकी संपत्ति जब्तीकरण तक की कार्रवाई की जा सकती है। पुलिस जांच में अभी तक 25 सूदखोर सामने आए हैं। सूदखोरों से परेशान कोई भी व्यक्ति अब एसएसपी कार्यालय में शिकायत कर सकता है।
बता दें कि ‘नये समीकरण’ ने 18 जनवरी के अंक में सुभाष बाजार के शातिर सूदखोर भाइयों का काला चिट्ठा प्रकाशित किया था। इन शातिर भाइयों ने दर्जनों परिवारों को बेघर कर दिया है। शाहगंज में जूता कारीगर के परिवार ने सूदखोर से आजिज आकर सामूहिक आत्महत्या का प्रयास पिछले दिनों किया था। इस प्रकार की घटनाओं का संज्ञान लेकर एसएसपी ने प्रत्येक थाना प्रभारी को अपने इलाके के खून चूसने वाले सूदखोरों की सूची बनाने के आदेश दिए थे। अभी तक 25 सूदखोर चिह्नित हो चुके हैं। जांच में यह भी पता चला है कि सर्वाधिक सूदखोर थाना शाहगंज, छत्ता, जगदीशपुरा तथा कोतवाली क्षेत्र के हैं। गौरतलब है कि ‘नये समीकरण’ में प्रकाशित खबर वाले सूदखोर भाई भी कोतवाली थाना व मंटोला थाना के सहयोग से ही अपना काला कारोबार संचालित कर रहे हैं।
सूदखोरों का जाल शहर के कमजोर वर्ग की बस्तियों में फैला हुआ है। प्रत्येक बस्ती में दबंग किस्म के व्यक्ति लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर बिना लाइसेंस के सूदखोरी के काम में लगे हुए हैं। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर यह सूदखोर 10 हजार का कर्ज देते समय एक हजार रुपये पहली किस्त के रूप में पहले ही काट लेते हैं। इसके अलावा एक हजार रुपये माहवार की 12 किस्त बना दी जाती हैं। प्रतिमाह एक हजार रुपये कर्ज लेने वाले को सूदखोर को देने होते हैं। किसी माह यदि वह किस्त न दे पाए तो पेनल्टी अलग से लगा दी जाती है। प्रत्येक थाना क्षेत्र में दर्जनों लोग इस गोरखधंधे में लगे हुए हैं। हर सूदखोर के नियम अलग हैं। कुछ सूदखोर सोने के जेवरात रखकर रकम उधार देते हैं। ब्याज इतनी अधिक होती है कि जेवर गिरवी रखने वाला गरीब व्यक्ति वह जेवर वापस नहीं ले पाता। सूदखोर कर्ज देते समय ही खाली स्टांप पेपर पर कर्ज लेने वाले के हस्ताक्षर या अंगूठा लगवा लेते हैं, इसके दबाव में कर्जदार कोई शिकायत भी नहीं कर पाता
