सीएम तक पहुंचा लेखपाल की रिश्वत का मामला

- सूखा राहत के चेक वितरण में अनियमितता का भी लगा था आरोप
- मामले में जांच भी हुई पर अब यह जांच फाइलों में दबकर रह गई
अनुदान राशि दिलाने के नाम पर तीस हजार रुपये रिश्वत के लेने वाले लेखपाल का मामला अब मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। इस मामले में पीड़ित ने जिलाधिकारी तक के दरबार में न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी पर अभी तक कोई भी कार्रवाई न होने से वह काफी निराश है। उसे उम्मीद थी कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की मुहिम रंग जरूर लाएगी पर अधिकारियों की अनदेखी के चलते अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। आरोपी लेखपाल के खिलाफ सूखा राहत के चेक में भी अनियमितता को लेकर चल रही जांच भी फाइलों में दफन कर दी गई है।
मामला है गढ़ी बांईपुर निवासी बंटू पुत्र मंगा सिंह का। उसने मुख्यमंत्री को लिखा है कि उसके पिता मंगा सिंह की 24 अक्टूबर 19 में यमुना नदी में डूबने से मृत्यु हो गई थी। उसके पिता लघु किसान थे, जो कृषि से ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। बंटू ने लिखा है कि उनकी जानकारी के अनुसार ऐसे किसानों के आकस्मिक निधन पर उनके परिवार को शासन की ओर से अनुदान राशि प्रदान की जाती है। इसी के चलते उन्होंने क्षेत्रीय लेखपाल देवेंद्र उपाध्याय से संपर्क साधा था। बंटू का आरोप है कि अनुदान राशि दिलाने के लिए लेखपाल ने उनसे 30 हजार रुपये रिश्वत के मांगे। जो उन्होंने किसी भी तरह से दे भी दिए। इसके बावजूद लेखपाल ने उन्होंने आज तक अभिलेखों की औपचारिकताएं पूरी नहीं की है। अब जब उनसे धनराशि वापसी को कहा जा रहा है तो वह अभद्रता कर रहे हैं। उनके साथ गाली-गलौच कर रहे हैं। पत्र में लिखा है कि इस लेखपाल ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर मौजा बोदला में आलीशान कोठी बनवा रखी है। यदि इसकी जांच करा ली जाए तो सत्यता सामने आ जाएगी। बंटू ने मुख्यमंत्री से अनुदान राशि के साथ ही लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
बताया जाता है कि सूखा राहत के चेक में भी इस लेखपाल द्वारा की गई अनियमितता की शिकायतें हुई थीं। इस बारे में जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच भी हुई। बंटू का आरोप है कि इस जांच को भी लेखपाल ने अपने रसूख से फाइलों में दबवा दिया है। उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी से भी शिकायत की थी पर उस पर कार्रवाई न होते देख अब मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में बंटू ने शिकायत के साथ शपथपत्र भी लगाया है।