दो साल के बाद यमुना में बहने लगेगी निर्मल धारा

- मंटोला नाले के टैप को बनी 850 करोड़ रुपये की योजना
- वर्ल्ड बैंक से धनराशि मिलते ही शुरू हो जाएगा इसका काम
शहर की यमुना में आज गंदा जल दिखाई दे रहा है, लेकिन आने वाले सालों में इसकी सूरत बदली हुई नजर आएगी। पानी ऐसा होगा, जो नहाने और पीने योग्य हो। गंगा की तरह अविरल धारा बहती नजर आएगी। हालांकि इस योजना को 2022 के अंत या 2023 के प्रारंभ तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यमुना में पानी का फ्लो बनाए रखने के लिए सरकार इसकी योजना तैयार कर रही है। यमुना का जल स्तर बढ़ाने के लिए हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार संयुक्त रूप से डैम बनाए जाने की कार्ययोजना पर कार्य कर रही हैं।
यह कहना है केंद्रीय जल शक्ति एवं सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया का। उन्होंने गत दिवस सर्किट हाउस में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर यमुना को स्वच्छ बनाने की योजना की समीक्षा की। इसके बाद पत्रकारों से वार्ता में उन्होंने कहा कि गंगा के साथ ही यमुना पर भी केंद्र सरकार का फोकस है। इसको लेकर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गये हैं। राज्यमंत्री ने बताया कि मंटोला नाले के ट्रीटमेंट के लिए 850 करोड़ रुपये की योजना बनाकर वर्ल्ड बैंक को भेजी गई है। वहां से धनराशि की स्वीकृति मिलते ही कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा। योजना के पूरा होने के बाद यमुना नदी के पानी में बदलाव दिखने लगेगा। यमुना के शुद्धिकरण का मथुरा और वृन्दावन में भी काम चल रहा है। राज्यमंत्री कटारिया ने बजट की खूबियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि नल से जल परियोजना को गांव के साथ ही शहरों के अन्दर भी शुरू करने के लिये बजट में प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के अन्तर्गत गंगा नदी को अविरल एवं स्वच्छ किए जाने हेतु अनेक परियोजनाएं संचालित की गई हैं, जिसमें से कई परियोजनाएं पूर्ण हो गई हैं। आगामी माह से हरिद्वार में लगने वाले कुम्भ के दृष्टिगत स्वच्छ एवं पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में विस्तृत रूप से विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि 20 हजार करोड़ की धनराशि व्यय कर गंगा नदी की अविरल एवं निर्मल धारा को बनाए रखने के लिए विगत छह वर्षों से युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि, पर्यावरण एवं आर्गेंनिक खेती के दृष्टिगत भी अर्थ गंगा योजनान्तर्गत विभिन्न कार्य शुरू किए गये हैं।
