‘पप्पू की चेली’ ने रोडवेज को लूटा

- टेलीग्राम से लगाई रोडवेज की कमाई में सेंध, अब रोडवेज ने कसा शिकंजा
- शातिर अपने ही विभाग के, पहले से पता होती है प्रवर्तन दलों की लोकेशन
- बिना टिकट यात्रा से रोडवेज को लगाया लाखों का चूना, अब खुल रहीं परतें
चोरों, ठगों, शातिरों, जालसाजों की अपनी ही एक दुनिया है, इसमें आप जितना झांकने की कोशिश करेंगे, उतने ही हैरान रह जाएंगे। हम आपको कुछ ऐसे ही ठगों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आप जितना जानेंगे, हैरान होंगे। ऐसे ही शातिरों का समूह है आगरा का टेलीग्राम गैंग। इस गैंग की खास बात यह है कि यह गैंग सरकार को लूटता है और अपने विभाग को ही अब तक लाखों रुपये का चूना लगा चुका है, मगर अब इस गैंग पर शिकंजा कस रहा है। इनके नामों और जालसाजी के तरीके से परतें उठने लगी हैं।
रोडवेज के आगरा परिक्षेत्र में टेलीग्राम गैंग सक्रिय है। इस गैंग में विभाग के ही लोग शामिल हैं, चालक-परिचालक इस गैंग के सदस्य हैं। आगरा-मथुरा, आगरा-नोएडा और मथुरा-जयपुर मार्ग पर स्मार्ट फोन द्वारा निगम के प्रवर्तन दलों, अधिकारियों एवं उड़नदस्तों की खबरें लीक की जा रही हैं। हाईटेक तरीकों से उनकी कारों की लोकेशन लेकर हेराफेरी की जाती है। एसटीएफ की मदद लेकर रोडवेज ने अब शातिरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारियों ने ईदगाह व मथुरा डिपो की बस संख्या यूपी 77 एएन 2640, यूपी 85 एटी 0652 और यूपी 85 एटी 3809 में इस खेल को पकड़ा है। बसों की चैकिंग करने पर पता चला कि आगरा क्षेत्र के विभिन्न डिपो के परिचालक टेलीग्राम एप का उपयोग प्रवर्तन दलों, उड़नदस्तों की लोकेशन जानकर बिना टिकट यात्रा कराने के लिए कर रहे हैं। एप में मोबाइल नंबर व उपभोक्ता का नाम एवं पहचान छिपी रहने के विकल्प का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। टेलीग्राम का इस तरह उपयोग कर रोडवेज को चूना लगाने वाले ये लोग ऐसे कई ग्रुपों से जुड़े हुए हैं। ग्रुपों के नाम हर दिन बदल दिए जाते हैं और ‘पप्पू की चेली’, ‘नाम जानके क्या करोगे’ जैसे यह नाम अजीब-अजीब तरह के हैं। इस तंत्र के सदस्यों से आधार कार्ड व निगम का पहचान पत्र लेकर ही उन्हें सदस्य बनाया जाता है। सदस्यों को नकली नाम से जोड़ा जाता है, ताकि उनकी पहचान न हो सके। एडमिन निर्देशित करते हैं कि सभी सदस्य मोबाइल फोन को साइलेंट मोड पर और गुप्त तरीके से रखें, एक दूसरा छोटा मोबाइल साथ रखें ताकि निरीक्षकों को दूसरा फोन ही दिखाया जा सके।
कौन हैं टाइगर राज, पौनिया जाट?
कुछ परिचालक कम ग्रुपों से तो कुछ सभी ग्रुपों से जुड़े हैं। विभिन्न डिपो के नियमित एवं संविदा परिचालक इन ग्रुपों के सदस्य हैं। टाइगर राज, जाट किंग, पौनिया जाट जैसे एडमिन नेम रखे हुए हैं। जांचकर्ता इन नामों की सही पहचान करने में जुटे हुए हैं।
टेलीग्राम क्यों चुना ?
रोडवेज अधिकारियों की मानें तो टेलीग्राम एक ऐसी ऐप है जिसमें हजारों सदस्य बनाए जा सकते हैं, बाकी सोशल नेटवर्किंग एप्लीकेशंस में सदस्यों की संख्या हजार से कम ही रहती है। यहां तक कि व्हॉट्सएप में भी अधिकतम 256 सदस्य ही बनाए जा सकते हैं।
चक्रव्यूह तोड़ने की तैयारी में रोडवेज
इस मामले का खुलासा होते ही रोडवेज इस चक्रव्यूह को तोड़ने की तैयारी में जुट गया है। बताया जा रहा है कि इसके लिए एसटीएफ की मदद ली जा रही है। वहीं यातायात अधीक्षकों सहित सभी सहायक यातायात निरीक्षकों को निर्देशित किया गया है। परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक स्तर से कहा गया है कि बसों को चेक न किया जाना उदासीनता, कार्यबल की उपेक्षा और मिलीभगत को दर्शाता है। इस संगठित भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस संबंध में पूर्व में निर्गत आदेशों का पालन न करने पर भी कार्रवाई की जाएगी।
कई जिलों में फैला नेटवर्क
शुरुआती जांच में आगरा, एटा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, लखीमपुर खीरी, मथुरा, बाराबंकी और कानपुर सहित कई जिलों में इस खेल का नेटवर्क मिला है। टिकट घोटाला कर यह टेलीग्राम गैंग रोडवेज को लाखों रुपए का चूना लगा रहा है।
अब तक ये ग्रुप आए सामने
- जय हनुमान जी
- राजा शनिदेव
- देख कर चल प्यारे
- नाम जानकर क्या करोगे
- एमटीआर
- पप्पू की चेली
