प्रियंका हो सकती हैं सीएम चेहरा

- कांग्रेस नवरात्र तक कर सकती है यूपी के लिए बड़ी घोषणा
- छवि सुधारने और पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने का है एजेंडा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की उत्तर प्रदेश में भाग दौड़ बढ़ गई है। लक्ष्य जगजाहिर है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव पर उनकी नजर है। प्रियंका अपनी छवि सुधारने में लगी हैं। इसके लिए वह दरगाह से लेकर मंदिर-मंदिर दौड़ रही हैं। संगम में डुबकी लगा रही हैं। वह प्रयागराज की यात्रा के दौरान मनोकामना मंदिर में द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के दर्शन करने भी पहुंच गयीं। उनके इस दौरे से एक बात साफ हो रही थी कि इस बार कांग्रेस के मन में कुछ और है। कांग्रेस और गांधी परिवार के नजदीकी लोगों की मानें तो प्रियंका गांधी के यूपी दौरों के निहितार्थ काफी बड़े हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि प्रियंका गांधी को यूपी में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में कांग्रेस पेश करने की सोच रही है। समझा जाता है कि मुख्यमंत्री के पद पर प्रियंका गांधी की दावेदारी की घोषणा नवरात्र के आसपास की जा सकती है। वैसे सूत्रों ने कहा कि यदि इस नवरात्र पर यह घोषणा किसी कारण से नहीं हो सकी तो शारदीय नवरात्र तक जरूर ही इसे घोषित कर दिया जाएगा। नवरात्र पर प्रियंका की दावेदारी की घोषणा शुभ दिन देख कर किया जाएगा।
बताया जाता है कि प्रयागराज में मनोकामना मंदिर में द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य से प्रियंका गांधी की बातचीत कई बातें साफ करती हैं। शंकराचार्य से प्रियंका बोलीं, ‘गुरु जी बहुत दिनों बाद मिलने का सौभाग्य मिला है। कैसे हैं आप और आपका स्वास्थ्य ठीक है? शंकराचार्य ने छोटा-सा जवाब दिया-मैं ठीक हूँ।’ थोड़ी देर तक प्रियंका इधर-उधर की बात करती रहीं। जब चलने की बारी आई तो प्रियंका ने शंकराचार्य से आशीर्वाद लिया और उनसे पूछ बैठीं कि उन्हें (प्रियंका) राष्ट्रहित में क्या करना चाहिए। इस पर शंकराचार्य का जवाब काफी सधा हुआ रहा। शंकराचार्य ने प्रियंका को सलाह दी कि वह हिन्दुओं का सम्मान करें और उनका विश्वास हासिल करें। इसके बाद ही उनकी मनोकामना पूरी होगी। यह मनोकामना यूपी की मुख्यमंत्री बनने की हो सकती है। शंकराचार्य के मुंह से निकले अमृत वचन सुनकर प्रियंका आगे कुछ बोल नहीं पाईं।
वैसे प्रियंका गांधी के इस दौरे को सियासी नजरिए से ही देखा जा रहा है। यूपी में विधानसभा चुनाव सिर पर है और एक साल के भीतर यूपी में चुनाव होने हैं। लब्बोलुआब यह है कि किसी भी चुनाव के समय कांग्रेस और गांधी परिवार को पूर्वांचल से काफी उम्मीद रहती है। इसकी वजह है नेहरू परिवार का यहां से जुड़ाव। प्रयागराज पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कर्म स्थली रही है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बचपन भी यहीं बीता था। एक समय था जब पूर्वांचल में कांग्रेस की तूती बोलती थी। गांधी परिवार ने पूर्वांचल से दूरी बनाई तो पूर्वांचल के मतदाताओं ने भी अन्य दलों का हाथ थाम लिया। लेकिन प्रियंका अब हालात बदलना चाहती हैं और पूर्वांचल में अपनी पार्टी को फिर से मजबूत करने के प्रयास में जुटी हैं।