तीन महीने में मंगल पर पहुंचा देगा रॉकेट

- नासा 2035 तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारियों में जुटा
- वर्तमान के रॉकेट मंगल तक पहुंचने में कम से कम 7 माह का समय लेते हैं
चांद पर पहुंचने के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों का अगला लक्ष्य मंगल ही है। मंगल को लेकर तमाम योजनाएं वैज्ञानिकों के दिमाग में हैं। इन पर अमल भी किया जा रहा है। इसमें सबसे आगे हैं नासा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2035 तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारियों में जुटी है। नासा अब परमाणु शक्ति से चलने वाला रॉकेट बनाने की योजना पर काम करने वाला है। यह रॉकेट इंसानों को तीन महीने में ही मंगल पर पहुंचा देगा।
अगर ऐसा रॉकेट बन जाता है तो भविष्य के भी अंतरिक्ष मिशन में नासा को बड़ी सफलता मिल सकती है। दरअसल मंगल तक इंसानों को पहुंचाने में नासा के सामने सबसे बड़ी समस्या रॉकेट की आ रही है। क्योंकि, वर्तमान में जितने भी रॉकेट मौजूद हैं वे मंगल तक पहुंचने में कम से कम सात महीने का समय लेते हैं। अगर इंसानों को इतनी दूरी तक भेजा जाता है तो मंगल तक पहुंचते पहुंचते आॅक्सीजन की कमी हो सकती है। दूसरी चिंता की बात यह है कि मंगल का वातावरण इंसानों के रहने के अनुकूल नहीं है। वहां का तापमान अंटार्कटिका से भी ज्यादा ठंडा है। ऐसे बेरहम मौसम में कम ऑक्सीजन के साथ पहुंचना खतरनाक हो सकता है।
नासा के स्पेस टेक्नोलॉजी मिशन डायरेक्ट्रेट की चीफ इंजिनियर जेफ शेही ने कहा कि वर्तमान में संचालित अधिकांश रॉकेट में केमिकल इंजन लगे हुए हैं। ये आपको मंगल ग्रह तक ले जा सकते हैं, लेकिन इस लंबी यात्रा की धरती से टेकआॅफ करने और वापस लौटने में कम से कम तीन साल का समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी अंतरिक्ष में चालक दल को कम से कम समय बिताने के लिए नासा जल्द से जल्द मंगल तक पहुंचना चाहता है। इससे अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में कमी आएगी। जिस कारण रेडिएशन, कैंसर और नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है।
इस कारण ही नासा के वैज्ञानिक यात्रा के समय को कम करने के तरीके खोज रहे हैं। सिएटल स्थित कंपनी अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉज ने नासा को एक परमाणु थर्मल प्रोपल्शन इंजन बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह रॉकेट धरती से इंसानों को मंगल ग्रह तक केवल तीन महीने में पहुंचा सकता है। वर्तमान में मंगल पर भेजे जाने वाले मानवरहित अंतरिक्ष यान कम से कम सात महीने का समय लेते हैं। वहीं, इंसानों वाले मिशन को वर्तमान के रॉकेट से मंगल तक पहुंचने में कम से कम नौ महीने लगने की उम्मीद है।