तिरंगे में लिपटकर अमर हो गया सिपाही देवेंद्र

- शहीद की अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब, पुलिस अधिकारी से लेकर राजनेताओं को जमावड़ा
- पिता बोले- बेटे की शहादत व्यर्थ नहीं जानी चाहिए, जिसने भी मारा है, उसे भी जिंदा न छोड़ा जाए
इकलौते बेटे की मौत का गम मां-बाप को झकझोर रहा था। बहन की डोली उठने से पहले ही भाई की हमेशा के लिए घर से विदाई हुई तो बहन बेसुध हो गई। पत्नी का रो-रोकर हाल बेहाल था। पुलिस अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ ने इस दु:ख की घड़ी में परिवार का साथ दिया।
डौकी के नगला बिंदु में जैसे ही सिढ़पुरा में शहीद हुए सिपाही देवेंद्र सिंह जसावत को अंतिम विदाई देने के लिए पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से लेकर राजनेताओं और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। तिरंगे में लिपटे शव को देखकर एक ओर तो गर्व हो रहा था लेकिन आंखों में अपराधियों के प्रति आक्रोश भी नजर आ रहा था। शव को देखने के बाद हर आंख नम हो गई थी।
परिजनों की पीड़ा सभी के आंखों से अश्रुधारा बहाने को मजबूर कर रही थी। पिता महावीर तो बस एक ही रट लगाए थे कि इकलौते बेटे की शहादत को तो उन्हें बदला चाहिए। जिसने बेटे को मारा है, उसे भी जिंदा नहीं छोड़ा जाए। उसने कहा कि मेरा बेटा मरा नहीं है। तिरंगे में लिपटकर आने वाला व्यक्ति मरता नहीं है, वह तो अमर हो जाता है। बहन प्रीति का भी हाल बेहाल हो रहा था। उसकी मई में शादी है लेकिन उससे पहले ही भाई की अर्थी उठ गई। मृतक की पत्नी चंचल तो मौत की खबर मिलते ही बेसुध हो गई।
शहीद के अंतिम दर्शन और विदाई देने के लिए पहुंचे राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह, एडीजी आगरा रेंज ए सतीश गणेश, जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह, एसएसपी बबलू कुमार, एसपी ग्रामीण पश्चिमी सत्यजीत गुप्ता, एसपी ग्रामीण पूर्वी केवी अशोक, भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाह आदि ने शहीद की अर्थी को कंधा भी दिया। वहीं कासंगज पुलिस लाइन में भी शहीद को सलामी दी गई। उसके बाद पार्थिव शरीर को परिजनों के साथ घर भेजा गया। सपा के प्रदेश सचिव अवनींद्र यादव ने कहा कि योगी सरकार की गलत नीति के कारण ही अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। सरकार को मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा देना चाहिए। जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने कहा कि शहीद सिपाही के परिवार को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। जो भी सुविधाएं सरकार की ओर से मिलती हैं, उन सभी योजनाओं का लाभ दिया जायेगा।