जगमगाती रोशनी के साथ हुआ बसंतोत्सव का समापन

हर ओर बसंती आभा। बसंती रंग में रंगे युवक-युवतियां। रंग-बिरंगी रोशनियों में जगमगाते दयालबाग के भवन। विद्युत और फूलों की सजावट से सजे स्वागत द्वार। हर ओर सजावट का लुत्फ उठाते, सेल्फी लेते, एक-दूसरे की फोटो लेते सतसंगी भाई-बहन। लगा मानो ऋतुराज बसंत के सारे पुष्प दयालबाग में ही इठलाते हुए अपनी महक और सौंदर्य बिखेर रहे हों। कालोनियों में प्रकाशोत्सव के साथ दयालबाग में चल रहे चार दिवसीय बसंतोत्सव का कल रात समापन हो गया।
दयालबाग इंजीनियरिंग कालेज, विवि का प्रशासनिक भवन, डीईआई, मुबारक कुआं व बरगद सहित दयालबाग की विभिन्न कालोनियों बीते कल सतरंगी रोशनी से सजी थीं। हर ओर चहल-पहल थी। सतसंगी भाई-बहन हुजूर साहब के आवास तथा मुबारक कुएं के दर्शन कर रहे थे। पीले रंग के स्वेटर, चुन्नी, सूट तथा जेकेट पहने स्त्री, पुरुष, बच्चों की आंखों में अजीब सा उल्लास था। देर रात तक विभिन्न कालोनियों में सजावट देखने के लिए लोगों का आना-जाना लगा रहा। कोविड के कारण इस वर्ष बाहरी लोगों का प्रवेश कोविड के प्रोटोकोल का पालन करते हुए दिया जाना था। इस प्रोटोकॉल में कोविड की नेगेटिव ताजा रिपोर्ट, मास्क, हेलमेट आदि अनिवार्य था। इसी कारण शहर के अन्य लोग इस वर्ष सजावट देखने से वंचित रहे।
रंग-बिरंगी रोशनी और सजावट में सेल्फी लेते नजर आए लोग
इससे पूर्व दिन में पीटी के बाद खेतों में सेवा कार्य किया गया। हालांकि दोपहर को खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी थी किंतु गुरु महाराज के आदेश के कारण वे प्रतियोगिताएं रद्द कर खेतों में सेवाकार्य प्रारंभ किया गया। एक ओर सेवा कार्य चल रहा था तो दूसरी ओर रानी साहिबा की पावन उपस्थिति में बसंत का पाठ किया जा रहा था। सेवाकार्य के बाद खेतों में ही प्रीति भोज का आयोजन किया गया। प्रीतिभोज के लिए सभी लोग अपने घरों से टिफिन में पीले रंग की तहरी बनाकर लाए थे।