‘आंगन की चिड़िया है बेटी’

- दुष्कर्मी बाप को सजा सुनाने से पहले कोर्ट में न्यायाधीश ने सुनाई मार्मिक कविता
- साल 2015 में दस दिन तक 12 साल की बेटी से बलात्कार करता रहा था पिता
न्यायाधीश वीके जयसवाल की इस कविता ने सभी का दिल छू लिया। एक बाप द्वारा बेटी से बलात्कार के मामले में उन्होंने कोर्ट में पहले इस कविता को पढ़ा और फिर अपना फैसला सुनाया। कहा कि ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का अधिकार नहीं। आरोपित को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
मामला थाना जगदीशपुरा का है। दस जून 2015 को एक महिला ने अपने पति के खिलाफ 12 साल के बेटी से बलात्कार करने का मामला दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया था कि दस दिन तक वह अपनी बहन के घर रुकी थी। घर पर उसकी 12 साल की बेटी और पति था। जब लौट कर आई तो बेटी को गुमसुम देखा। कई बार उससे कारण पूछा लेकिन बेटी खामोश रही। फिर बताया कि पिता ने उसके साथ दस दिन में कई बार बलात्कार किया है। मां के पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटी ने कहा कि पिता ने उसे धमकाया और कहा कि अगर मां को बताएगी तो वह तुझे मार डालेगा। बेटी के साथ में दरिंदगी से आहत महिला ने अपने पति को सजा दिलाने की ठान ली। थाना जगदीशपुरा में रिपोर्ट दर्ज कराई। साढ़े पांच साल चले मुकद्मे में कोर्ट ने पिता को उम्रकैद की सजा सुनाई।
जब-जब जन्म लेती है बेटी,
खुशियां साथ लाती है बेटी,
ईश्वर की सौगात है बेटी,
सुबह की पहली किरन है बेटी।
तारों की शीतल छाया है बेटी,
आंगन की चिड़िया है बेटी,
त्याग और समर्पण सिखाती है बेटी,
नये-नये रिश्ते बनाती है बेटी।
जिस घर में जाए, उजाला लाती है बेटी,
बार-बार याद आती है बेटी,
बेटी की कीमत उनसे पूछो,
जिनके पास नहीं है बेटी।
कोर्ट में छलक उठे मां के आंसू
आगरा। पांच साल का लंबा संघर्ष। एक ओर बेटी तो दूसरी ओर उसका बलात्कारी पिता। मां ने पुलिस थाने से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और जब न्यायाधीश ने फैसला सुनाया तो उनकी आंख से आंसू छलक उठे। छलक उठे मां की आंखों में संघर्ष के वे दिन उतर आये जब उसने अपने ही पति को सजा दिलाने की ठानी थी। प्रारंभ में तो पुलिस ने भी इस मां को दुत्कार दिया था, लेकिन उसने हार नहीं मानी और संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाया। न्यायाधीश की कविता और पिता को उम्रकैद की सजा ने कोर्ट रूम में सभी को भावुक कर दिया। यह केस दीवानी कचहरी में नजीर बन गया है।

रक्षक से भक्षक बन गया पिता- कोर्ट
आगरा। न्यायाधीश वीके जायसवाल का यह फैसला नजीर बनेगा। कोर्ट के इस आदेश की चर्चा है। उन्होंने बेटियों पर न केवल मार्मिक कविता लिखी बल्कि कुकर्मी पिता के लिए कहा कि ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का अधिकार नहीं है, जो रक्षक से भक्षक बन जाए। यह मामला पॉक्सो कोर्ट में चला। बलात्कारी पिता पर 1.80 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। बेटियों पर लिखी उनकी कविता ने सबका दिल छू लिया।
