सांसदों-विधायकों की चुप्पी समझ से परे

- जॉन्स मिल संपत्ति विवाद में संघर्ष समिति ने खुद ही संभाला मोर्चा
- जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से परेशान और हैरान है संघर्ष समिति
- कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने को कहा
जिस पार्टी को वोट ही नहीं नोट भी देते हैं, उसकी खामोशी ने जॉन्स मिल के बाशिंदों को अब सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। वे परेशान हैं और अंचभित भी। उनका दर्द है कि सत्ता पक्ष का कोई भी सांसद व विधायक उनकी आवाज को बुलंद करने के लिए खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है। आखिर वे इसका कारण नहीं समझ पा रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी के बाद अब संघर्ष समिति ने सड़क पर आकर आंदोलन का मन बना लिया है। इसी कड़ी में सैकड़ों बाशिंदों ने गत दिवस कलक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर नारेबाजी की और ज्ञापन दिया।
जॉन्स मिल के निवासियों का एक ही सवाल है कि राजस्व रिकॉर्ड में सब-कुछ देखने के बाद जमीन खरीदने के बाद उन पर कार्रवाई की तलवार क्यों लटकाई जा रही है। इस मामले में अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी आवाज को बुलंद नहीं किया है। समिति के सदस्य कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों की उनके साथ हमदर्दी तो है पर वे खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं। इसका कारण क्या है, यह उनकी समझ से परे है। एक सदस्य ने कहा कि इन जनप्रतिनिधियों ने उनकी बात यदि मुख्यमंत्री के पास तक पहुंचाकर शासन स्तर से जांच कराने की पैरोकारी की होती तो आज स्थिति अलग होती। आज भी यदि सत्ता पक्ष का कोई मजबूत नेता उनकी बात मुख्यमंत्री के सामने रखेगा तो उन्हें भरोसा है कि न्याय मिल जाएगा। उनका कहना है कि वह अभी स्थानीय स्तर पर ही प्रशासन से जूझ रहे हैं।
इसी कड़ी में जिलाधिकारी द्वारा दिए गए समय का पालन करते हुए जॉन्स मिल संघर्ष समिति के लगभग 250 सदस्य कलक्ट्रेट पहुंचे। जिलाधिकारी के कार्यालय में मौजूद न होने व एडीएम प्रोटोकॉल के अवकाश पर होने के कारण सभी सदस्यों ने एएसडीएम सदर पीसी आर्य से मुलाकात की। शपथ पत्र जमा करने के साथ ही उन्होंने ज्ञापन सौंपा और कोर्ट का आदेश आने तक प्रशासन द्वारा की जा रही जांच को रोकने की मांग की। साथ ही 25-30 पन्नों का आपत्ति पत्र दिया। जिसमें एडीएम प्रशासन द्वारा 277 पन्नों की जांच को खारिज करने की मांग की गई है।
एडीएम प्रशासन की रिपोर्ट आने के बाद जिलाधिकारी ने एडीएम आतिथ्य को जॉन्स मिल मामले में लोगों के कागजात चेक कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया हुआ है। समिति का कहना है कि वह इसमें पूरा सहयोग दे रही है। समिति ने बताया कि एडीएम आतिथ्य द्वारा 23 खसरों की जांच हो रही है। जिसमें 2087 नम्बर खसरे में नजूल व राजस्व की कोई सम्पत्ति नहीं है। इसके बावजूद वहां प्रसासन द्वारा पानी, बिजली मरम्मत, नए निर्माण, हस्तांतरण व नक्शे पास करने पर रोक लगा दी गई है। हाईकोर्ट द्वारा विभिन्न खसरों पर प्रशासन को नजूल की भूमि पर स्टे आर्डर दिया गया है। समिति ने मांग की कि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार धारा 110 का अनुपालन करते हुए कोर्ट द्वारा डिक्री प्रक्रिया का पालन करे।
समिति के अधिवक्ता बृजेन्द्र रावत, हरीश बत्रा, कृष्ण कुमार रावत, एडवोकेट चाहर, विवेक शर्मा ने कलक्ट्रेट में मौजूद जॉन्स मिल संघर्ष समिति के सदस्यों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा यह जांच पूरी प्रशासनिक मशीनरी का प्रयोग करके चार माह से अधिक समय लेकर अपने घर पर बैठकर तैयार की गई है, जिसमें पीड़ित पक्ष को सुना ही नहीं गया है। यह लगभग 100 वर्ष पुराना विषय है, प्रशासन पीड़ित पक्ष से चाहता है कि वह अपना जवाब 14 दिन में प्रस्तुत करे, जो कि गलत है।

प्रदर्शन में ये रहे शामिल
समिति के संरक्षक बृजमोहन अग्रवाल, दयानन्द नागरानी, उमाशंकर माहेश्वरी, अनिल जैन, प्रमोद अग्रवाल, हर्ष गुप्ता, पंकज बंसल, मनोज अग्रवाल, अंशुल दौनेरिया, संजय खंडेलवाल, पंकज जैन, कन्हैया अग्रवाल, अरुण गुप्ता, विशाल बंसल, अतुल बंसल, पंकज मरौठिया, अनुभव अग्रवाल, कृष्णा अग्रवाल, सतीश गर्ग, सुनील जैन, अलंकृत जैन, आकाश जैन, विपुल गुप्ता, राजाराम, अमरीष अग्रवाल आदि मुख्य रूप से प्रदर्शन में उपस्थित थे।