ये चेक मैं किस-किस को दूं!

वर्ष 1994 में रिलीज हुई फिल्म दुलारा का गीत ‘एक है अनार यहां-कितने बीमार यहां, ये दिल मैं किस-किस को दूं’। यह गाना 26 साल बाद आगरा के उन उद्यमियों पर फिट बैठ रहा है, जो अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए निधि समर्पित करने का मन बनाए बैठे हैं। इनके सामने फिल्म की अदाकारा की तरह की समस्या यह है कि चेक तो एक ही है पर उसके लिए फोन शहर के कई माननीयों तथा नेताओं के आ रहे हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि इस एक चेक को किस-किस को दें। किसे नाराज करें और किसे खुश।

देशभर में अयोध्या में बनने जा रहे श्रीराम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान चल रहा है। इस अभियान में संघ, विहिप, भाजपा सहित संघ परिवार के सभी संगठन पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं। गली-मोहल्लों से लेकर गांवों तक में यह अभियान चलाया जा रहा है। मंदिर निर्माण के लिए अधिक से अधिक धन जुटाने के लिए संघ परिवार ने सभी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और मेयर को एक-एक करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया है। इधर संघ और विहिप के पदाधिकारी भी बड़े दानदाताओं से सीधे संपर्क कर रहे हैं। आगरा में राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे सहित तीन सांसद हैं। जिले में नौ विधायक भी हैं। ये सभी जनप्रतिनिधि लक्ष्य को पूरा करने के लिए इन दिनों शहर के उद्यमियों से संपर्क कर रहे हैं।
आगरा से चुने गए सभी जनप्रतिनिधियों के उद्यमियों से सीधे संपर्क हैं। जिनके नहीं हैं, वो अपने-अपने करीबियों के माध्यम से उन तक संपर्क कर रहे हैं। हालात ये है कि एक-एक उद्यमी के पास सभी सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों के फोन पहुंच रहे हैं। सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने माध्यम से उनसे निधि हासिल करने के प्रयास में हैं। ऐसे में उद्यमियों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसको खुश करें और किसको नाराज। जिस माननीय को वे सहयोग कर देंगे, अन्य माननीयों की हिट लिस्ट में आ जाएंगे। इसी दुविधा का समाधान करने के लिए वे अपने करीबियों के साथ चर्चा करने में जुटे हैं। संघ से जुड़े कुछ बड़े उद्यमियों को भी धन संग्रह अभियान में जुटाया गया है। उनको भी एक बड़ा लक्ष्य दिया गया है। वे भी अपने-अपने करीबी उद्यमियों से निधि समर्पण का आह्वान कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि निधि उनके माध्यम से पहुंचे। साफ है कि शहर में उद्यमी तो गिने-चुने हैं। उनके संपर्क भी लगभग सभी जनप्रतिनिधियों और उद्यमियों से हैं। इस समस्या के चलते दुविधा में फंसे तमाम उद्यमी अभी तक राम मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पित नहीं कर पाए हैं।