‘31 मार्च तक का समय तुम्हारा, अप्रैल मेरा होगा’

- तीन साल में पहली बार नगर निगम ने देखा मेयर का गुस्सा
- गृह कर और विज्ञापन कर विभाग की मनमानियों पर जमकर बरसे मेयर
नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बीते कल तीन साल की अवधि में पहली बार महापौर नवीन जैन का गुस्सा देखा। ऐसा गुस्सा कि सभी सहम उठे। नगर निगम के सदन में मेयर को आखिर गुस्सा क्यों आया, यह चर्चा का विषय बन गया। सदन की बैठक तो पुनरीक्षित बजट जैसे गंभीर विषय पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी, फिर इसमें इतना गुस्सा क्यों? इन सवालों के जवाब यही हैं कि नगर निगम सदन में प्रवेश करने से पहले ही इस गुस्से का बेस तैयार हो गया था। नगर निगम के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की बेलगाम हरकतें इस गुस्से की वजह बनीं। मेयर ने चेतावनी भरे अंदाज में यहां तक कह दिया कि 31 मार्च तक का समय तुम्हारा (अधिकारियों-कर्मचारियों का है) 31 मार्च के बाद अप्रैल मेरा होगा। एक-एक विभाग की समीक्षा करूंगा।
जो भी मनमानी कर रहे हैं, उनकी गड़बड़ी पकड़ में आई तो छोड़ूंगा नहीं। पुनरीक्षित बजट पर विचार विमर्श के दौरान विज्ञापन कर से होने वाली आय बढ़ाने पर चर्चा हो रही थी। यकायक मेयर के तल्ख स्वरों से आवाज सुनाई पड़ी- मुझे मालूम है कि विज्ञापन कर के नाम पर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी क्या कर रहे हैं। फैक्ट्री वालों तक की नाक में दम कर रखा है। किसी ने अपनी फैक्ट्री की दीवार पर फ्लैक्स भी लगा रखा है तो उसे अनाप-शनाप टैक्स के नोटिस देकर धमकाया जा रहा है। विज्ञापन कर से आय बढ़ाने के लिए बात तो यह हुई थी कि मुख्य मार्गों के भवनों की छतों पर लगने वाले होर्डिंगों से टैक्स वसूला जाए, लेकिन निगम के अधिकारियों ने फैक्ट्री वालों तक पर अपने डैने फैला दिए।
किसी फैक्ट्री की अपनी दीवार पर फ्लैक्स लगा है तो यह विज्ञापन कर के दायरे में कैसे आएगा? उन्होंने कहा कि करदाता हमारे ग्राहक हैं और हम दुकानदार की भूमिका में हैं। करदाता को वही सम्मान मिलना चाहिए जो दुकानदार अपने ग्राहक को देता है।
मकान गर्ग साहब, जैन साहब का नाम चढ़ा दिया
मेयर नवीन जैन ने गृह कर विभाग पर भी गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि यहां तो बहुत ही अजब काम हो रहे हैं। मकान का मालिक कोई होता है और निगम के अधिकारी नामांकन में किसी और का नाम डालकर मकान का मालिक ही किसी और को बना देते हैं। गुदड़ी मंसूर खां का एक उदाहरण देते हुए मेयर बोले- यहां गर्ग साहब के मकान का नामांकन होना था। नगर निगम वालों ने गर्ग साहब के पड़ोसी जैन साहब के पक्ष में मकान का नामांकन कर दिया? इस तरह के दर्जनों मामले उनके संज्ञान में आए हैं, जिससे पता चलता है कि गृह कर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी किस तरह से मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि ऐसा करने वालों ने कभी सोचा है कि किसी का मकान किसी और के नाम करने से पीड़ित को कितनी तकलीफ होती होगी और उसे यह ठीक कराने में कितने पापड़ बेलने पड़ते होंगे।
होटल वालों की सुनने के बाद चढ़ी हुई थीं त्यौरियां
नगर निगम के सदन में प्रवेश करने से पहले ही मेयर की त्यौरियां चढ़ी हुई थीं। दरअसल हुआ यह कि मेयर आगरा से बाहर से सीधे नगर निगम पहुंचे थे। सदन का समय हो गया था। नगर निगम स्थित अपने दफ्तर में घुसे तो वहां होटल इंडस्ट्री के लोग उनका इंतजार करते मिले। होटल वालों ने मेयर के समक्ष अपना दुखड़ा रोया और बताया कि किस तरह मनमाने बिल भेजकर उन्हें होटल सीज करने के लिए धमकाया जा रहा है। इससे पहले मकानों के म्यूटेशन और विज्ञापन कर के नाम पर फैक्ट्री वालों को परेशान किए जाने के मामले उनकी जानकारी में आ चुके थे। होटल वालों की पीड़ा सुनने के बाद मेयर ने अपने स्वभाव के विपरीत सदन में गुस्सा निकाल दिया।
किस माई के लाल में हिम्मत है…
महापौर नवीन जैन ने कहा कि कमर्शियल टैक्स के नाम पर होटल वालों को धमकाया जा रहा है। मनमाने बिल तैयार कर नोटिस भेजकर धमकाया जा रहा है। लाठियों के साथ होटल वालों को होटल सीज करने की धमकी देते हो, मैं भी देखता हूं कि किस माई के लाल में इतनी हिम्मत है कि होटल को सीज कर सके। उन्होंने कहा कि सब कुछ मेरी जानकारी में है। नोटिस-नोटिस का खेल बंद कर दो, अन्यथा बहुत भारी पड़ेगा।